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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2637
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

मोटापा (Obesity)

यह एक कुपोषण की अवस्था है जिसमें कि व्यक्ति जरूरत से ज्यादा कैलोरी विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों को ग्रहण करके प्राप्त करता है। जब व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भोज्य पदार्थ लेता है तो शरीर में जरूरत से ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसमें से ऊर्जा की कुछ मात्रा ग्लाइकोजिन के रूप में शरीर में एकत्र हो जाती है तथा शेष त्वचा के नीचे वसा के रूप में जमा हो जाती है। जब यह वसा अत्यधिक मात्रा में शरीर के विभिन्न भागों में जमा हो जाती है तो व्यक्ति मोटा लगने लगता है तथा उसका शरीर विशालकाय और अत्यधिक वजन का हो जाता है।

ज्यादा शारीरिक भार तथा मोटापे में थोड़ी-सी विभिन्नता है। जब किसी व्यक्ति का शारीरिक भार सामान्य से 10% ज्यादा हो जाता है तो वह व्यक्ति अधिक शारीरिक भार वाला कहलाता है लेकिन जब शरीर का भार सामान्य से 20% ज्यादा होता है तो व्यक्ति मोटा कहलाता है। महिलाओं में जब शारीरिक भार सामान्य से 30% अधिक हो जाता है, तब उसे मोटापे की अवस्था में कहा जाता है।

मोटापा या अधिक शारीरिक भार वाले व्यक्ति विकसित देशों में अधिक पाये जाते हैं तथा आज के इस आधुनिक सभ्य समाज ने इसको और अधिक बढ़ावा दे दिया है जहाँ कि आये दिन विभिन्न प्रकार के उत्सवों पर दावतें आयोजित की जाती हैं। प्राचीनक काल में मानव को नियमित रूप से भोजन नहीं मिल पाता था। इसलिए जब भी उसको भोजन की प्राप्ति होती थी, तब वह अत्यधिक भोजन कर वसा को अपने शरीर में एकत्रित कर लेते थे तथा जरूरत पड़ने पर उससे वह अपनी जैविक क्रियाओं में खर्च होने वाली ऊर्जा की पूर्ति कर लेते थे। जैसे-जैसे सभ्यता बढ़ती गयी, भोज्य पदार्थ भी प्रचुर मात्रा में प्राप्त होने लगे तथा व्यक्ति नियमित भोजन करने लगे तथा किसी त्योहार या दावत से पहले वह हल्का खाना लेते थे जिससे व्यक्ति मोटापे जैसी कुपोषणता से ग्रसित नहीं हो पाते थे। लेकिन अब उपवास करने जैसी प्रथा खत्म होती जा रही है।

मोटापा. शरीर में उपापचय से सम्बन्धित कई प्रकार की बीमारियों को आमन्त्रित करता है; जैसे- उच्च रक्तचाप का होना, मधुमेह, गठिया, हृदय तथा रक्त संवहन सम्बन्धित बीमारियाँ व्यक्ति को यदि इन बीमारियों से बचना है तो उसे अपना वजन, कद व आयु के अनुसार सामान्य स्तर में रखना चाहिए।

मोटापा या अधिक शारीरिक भार के कारण

1. शारीरिक क्रियाएँ — जो व्यक्ति शारीरिक परिश्रम करते हैं, उनमें मोटापा नहीं आता है तथा जो व्यक्ति शारीरिक परिश्रम नहीं करते हैं तथा पूर्ण भोजन करते हैं उनमें मोटापा आ जाता है; जैसे - लाला लोगों में अर्थात् दुकान पर, गद्दी पर बैठने वाले व्यक्तियों में।

2. वंशानुक्रम — कुछ परिवारों में यह देखा गया है कि उनके सभी सदस्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोटे ही निकलते हैं अर्थात् जिन बच्चों के माता-पिता मोटे हैं, उनके बच्चे भी मोटे ही होंगे। यह उस परिवार की आर्थिक स्थिति तथा खान-पान पर निर्भर करता है।

3. गर्भावस्था — स्त्रियों के बार-बार गर्भ धारण करने से उनके शारीरिक भार में वृद्धि हो जाती है।

4. आयु व लिंग – मोटापा किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन सामान्यतः यह 30-45 वर्ष की आयु में अधिक पाया जाता है। किशोरावस्था में बाद लड़कियों का वजन अधिक बढ़ जाता है।

5. औषधियाँ— स्टीरॉइड गर्भनिरोधक औषधि से भी मोटापा बढ़ता है क्योंकि इनके प्रयोग से उपापचय की क्रियाएँ प्रभावित हो जाती हैं तथा भूख में भी वृद्धि होती है।

6. भोजन सम्बन्धी आदतें - कुछ व्यक्तियों में थोड़ी-थोड़ी देर बाद कुछ न कुछ खाने की आदत होती है जिससे वे जरूरत से ज्यादा भोजन ग्रहण कर लेते हैं और मोटापे का शिकार हो जाते हैं।

• अल्कोहल पीने वाले व्यक्ति का शारीरिक भार सामान्य से ज्यादा पाया जाता है क्योंकि अल्कोहल से व्यक्ति को अतिरिक्त कैलोरी प्राप्त हो जाती है तथा वसा के रूप में शरीर में एकत्रित हो जाती है।

• कुछ व्यक्तियों विशेषकर औरतों को तला-भुना खाने की ज्यादा आदत होती है जिससे उनके शरीर में वसा की अत्यधिक मात्रा पहुँचकर जमा हो जाती है।

• जो व्यक्ति मिठाइयों का अधिक सेवन करते हैं, उनमें भी मोटापा देखने को मिलता है।

7. हार्मोन्स का प्रभाव – नलिकाविहीन ग्रन्थियों से स्रावित हाने वाले पदार्थों की असन्तुलित मात्रा से शरीर में वसा एकत्रित होने लगती है। हाइपोथैलेमस में रोग हो जाने से भी मोटापा आ जाता है। इन्सुलिन की कमी से मधुमेह रोग हो जाता है जिससे व्यक्ति अधिक भोजन करता है और मोटापे का शिकार हो जाता है।

8. आर्थिक स्तर — मोटापा उच्च एवं मध्यवर्गीय परिवारों में देखने को मिलता है। इसका मुख्य कारण इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होने से यह खाद्य पदार्थों की ज्यादा खरीददारी करना तथा उसे आवश्यकता से अधिक ग्रहण करते हैं।

9. मनोवैज्ञानिक कारण- कुछ व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होने पर अपना ध्यान खाने पर लगा देते हैं तथा थोड़ी-थोड़ी देर बात कुछ न कुछ खाते रहते हैं।

अत्यधिक शारीरिक भार से हानियाँ

1. मोटे व्यक्ति मांसपेशियों में शिथिलता के कारण कमर तथा पीठ में दर्द महसूस करने लगते हैं, शीघ्र उपचार न करने पर मेरुदण्ड की अस्थियाँ तथा सन्धियाँ खराब हो जाती हैं।

2. मोटे व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं।

3. मोटा व्यक्ति ठीक प्रकार से चल-फिर नहीं सकता है जिससे उसे रोजाना के आवश्यक कार्य करने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति बहुत जल्दी थकान का अनुभव करने लगता है तथा साँस फूलने लगती है।

4. मोटापा अनेक प्रकार की बीमारियाँ को आमन्त्रित करता है; जैसे— मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गठिया आदि।

शारीरिक वजन को कम करने के उपाय

1. उचित आहार के सेवन द्वारा।

2. आधुनिक दवाइयों का उपयोग कर।

3. व्यक्ति को नियमपूर्वक व्यायाम करना चाहिए।

आहार द्वारा मोटापा कम करना -अधिक शारीरिक भार वाले व्यक्ति के आहार में पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा निम्न प्रकार से होनी चाहिए-

1. कार्बोहाइड्रेट- अधिक शारीरिक भार वाले व्यक्ति के आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह भी वसा की तरह मुख्यत: ऊर्जादायक पदार्थ होते हैं। 1000 कैलोरी ऊर्जा के लिए 100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट आहार में पर्याप्त रहता है। यह कार्बोहाइड्रेट जटिल व रेशेयुक्त आहार के रूप में प्रयुक्त करना चाहिए।

2. ऊर्जा — मोटापे को कम करने के लिए शारीरिक भार 500 ग्राम से 1000 ग्राम प्रति सप्ताह कम करने के उद्देश्य से ही आहार द्वारा ऊर्जा की कटौती करनी चाहिए। एक साधारण पुरुष को 1400-1600 कैलोरी ऊर्जा देनी चाहिए। एक साधारण स्त्री को 1200-1400 कैलोरी ऊर्जा प्रतिदिन देनी चाहिए। जो व्यक्ति अधिक विश्राम करते हैं उन्हें 1000 कैलोरी ऊर्जा वाला आहार देना चाहिए।

3. खनिज लवण - खनिज तत्त्व भी उपयुक्त मात्रा में रोगी को देने चाहिए। मुख्यतः लोहा, कैल्सियम तथा आयोडीन का ध्यान रखना चाहिए। लोहा के लिए हरी पत्तेदार सब्जियाँ, कैल्सियम के लिए वसारहित दूध व आयोडीन के लिए आयोडाइज्ड नमक प्रयोग में लाना चाहिए।

4. वसा— अधिक शारीरिक भार वाले व्यक्ति को आहार में वसा की मात्रा कम से कम देनी चाहिए। 1000 कैलोरी पर 30 ग्राम वसा से ज्यादा नहीं देनी चाहिए और जहाँ तक सम्भव हो वनस्पति जगत से प्राप्त वसा का प्रयोग करना चाहिए।

5. विटामिन्स - आहार में कार्बोहाइड्रेट की कमी से विटामिन्स की कमी हो जाती है इसलिए आहार में सलाद, हरी सब्जियों व फलों का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। विटामिन 'सी' चर्बी को काटता है। अतः साइट्स समूह के फल व उनके रस आहार में जरूर सम्मिलित करने चाहिए।

6. प्रोटीन आहार में प्रोटीन की सामान्य मात्रा होनी चाहिए। एक किलोग्राम शारीरिक भार के लिए एक ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

अधिक शारीरिक भार वाले व्यक्ति के आहार में वर्जित भोज्य पदार्थ

• चर्बीयुक्त मांस, शूकर का मांस।

• आलू, अरबी, चावल।

• तले हुए पदार्थ, जैसे—समौसा, पकौड़ी आदि।

• पेय पदार्थ - शराब, कोल्ड ड्रिंक्स, शर्बत, लस्सी आदि।

• सभी प्रकार की मिठाइयाँ, जैम, जैली आदि।

• भैंस का दूध, मक्खन, घी, मलाई।

मोटापा कम करने के लिए देने वाले आहार में भोज्य पदार्थों  की मात्रा (1000 कैलोरी के लिए)
भोज्य पदार्थ  - मात्रा
अन्य सब्जी  -  200 ग्राम
जड़ वाली सब्जियाँ  - 50 ग्राम
फल  - 50 ग्राम
वसा व तेल  - 15 ग्राम
अनाज  - 100 ग्राम
दालें  - 50 ग्राम
दूध वसारहित  - 300 मि०ली०
हरी पत्तेदार सब्जियाँ  - 200 ग्राम

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    अनुक्रम

  1. आहार एवं पोषण की अवधारणा
  2. भोजन का अर्थ व परिभाषा
  3. पोषक तत्त्व
  4. पोषण
  5. कुपोषण के कारण
  6. कुपोषण के लक्षण
  7. उत्तम पोषण व कुपोषण के लक्षणों का तुलनात्मक अन्तर
  8. स्वास्थ्य
  9. सन्तुलित आहार- सामान्य परिचय
  10. सन्तुलित आहार के लिए प्रस्तावित दैनिक जरूरत
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. आहार नियोजन - सामान्य परिचय
  13. आहार नियोजन का उद्देश्य
  14. आहार नियोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  15. आहार नियोजन के विभिन्न चरण
  16. आहार नियोजन को प्रभावित करने वाले कारक
  17. भोज्य समूह
  18. आधारीय भोज्य समूह
  19. पोषक तत्त्व - सामान्य परिचय
  20. आहार की अनुशंसित मात्रा
  21. कार्बोहाइड्रेट्स - सामान्य परिचय
  22. 'वसा’- सामान्य परिचय
  23. प्रोटीन : सामान्य परिचय
  24. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  25. खनिज तत्त्व
  26. प्रमुख तत्त्व
  27. कैल्शियम की न्यूनता से होने वाले रोग
  28. ट्रेस तत्त्व
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. विटामिन्स का परिचय
  31. विटामिन्स के गुण
  32. विटामिन्स का वर्गीकरण एवं प्रकार
  33. जल में घुलनशील विटामिन्स
  34. वसा में घुलनशील विटामिन्स
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. जल (पानी )
  37. आहारीय रेशा
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. 1000 दिन का पोषण की अवधारणा
  40. प्रसवपूर्व पोषण (0-280 दिन) गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त पोषक तत्त्वों की आवश्यकता और जोखिम कारक
  41. गर्भावस्था के दौरान जोखिम कारक
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  43. स्तनपान/फॉर्मूला फीडिंग (जन्म से 6 माह की आयु)
  44. स्तनपान से लाभ
  45. बोतल का दूध
  46. दुग्ध फॉर्मूला बनाने की विधि
  47. शैशवास्था में पौष्टिक आहार की आवश्यकता
  48. शिशु को दिए जाने वाले मुख्य अनुपूरक आहार
  49. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  50. 1. सिर दर्द
  51. 2. दमा
  52. 3. घेंघा रोग अवटुग्रंथि (थायरॉइड)
  53. 4. घुटनों का दर्द
  54. 5. रक्त चाप
  55. 6. मोटापा
  56. 7. जुकाम
  57. 8. परजीवी (पैरासीटिक) कृमि संक्रमण
  58. 9. निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन)
  59. 10. ज्वर (बुखार)
  60. 11. अल्सर
  61. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  62. मधुमेह (Diabetes)
  63. उच्च रक्त चाप (Hypertensoin)
  64. मोटापा (Obesity)
  65. कब्ज (Constipation)
  66. अतिसार ( Diarrhea)
  67. टाइफॉइड (Typhoid)
  68. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  69. राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएँ और उन्हें प्राप्त करना
  70. परिवार तथा विद्यालयों के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  71. स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  72. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रः प्रशासन एवं सेवाएँ
  73. सामुदायिक विकास खण्ड
  74. राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम
  75. स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
  76. प्रतिरक्षा प्रणाली बूस्टर खाद्य
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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